Martin Luther King Jr (मार्टिन लूथर किंग जूनियर)
मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr.) एक प्रमुख अमेरिकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, पादरी, और नोबेल पुरस्कार विजेता थे। उन्होंने 1950 और 1960 के दशक में अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए समानता और नस्लीय न्याय की मांग करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया। उनका जीवन और कार्य मानवाधिकारों के लिए वैश्विक संघर्ष में प्रेरणा का स्रोत है। आइए उनके जीवन और योगदान को विस्तार से समझते हैं।
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 15 जनवरी 1929, अटलांटा, जॉर्जिया, अमेरिका।
- मूल नाम: माइकल किंग जूनियर। उनके पिता, माइकल किंग सीनियर, ने बाद में अपने और उनके बेटे के नाम को मार्टिन लूथर किंग कर लिया, जर्मन सुधारक मार्टिन लूथर के सम्मान में।
- शिक्षा: किंग ने मोरहाउस कॉलेज से समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और क्रोज़र थियोलॉजिकल सेमिनरी से धर्मशास्त्र में डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने बोस्टन विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
नागरिक अधिकार आंदोलन में भूमिका
मोंटगोमरी बस बॉयकॉट (1955-1956)
- किंग की सार्वजनिक जीवन में पहली प्रमुख भूमिका मोंटगोमरी बस बॉयकॉट में थी। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब रोज़ा पार्क्स ने एक श्वेत व्यक्ति के लिए अपनी सीट देने से इनकार कर दिया।
- किंग इस आंदोलन के नेता बने, जिसने मोंटगोमरी शहर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को नस्लीय रूप से अलगाव मुक्त कर दिया।
सद्भाव और अहिंसा के सिद्धांत
- किंग ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर अहिंसक प्रतिरोध के सिद्धांत को अपनाया। उन्होंने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध और नागरिक अवज्ञा के माध्यम से संघर्ष किया।
साउथर्न क्रिश्चियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस (SCLC)
- 1957 में, किंग ने SCLC की स्थापना की, जिसका उद्देश्य अहिंसक प्रतिरोध के माध्यम से नागरिक अधिकारों को बढ़ावा देना था।
प्रमुख घटनाएँ और भाषण
बर्मिंघम अभियान (1963)
- बर्मिंघम, अलबामा में एक प्रमुख अभियान चलाया गया जिसमें किंग ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। इस दौरान किंग को गिरफ्तार कर लिया गया, और उन्होंने जेल से अपना प्रसिद्ध पत्र "लैटर फ्रॉम बर्मिंघम जेल" लिखा, जिसमें उन्होंने नस्लीय न्याय के लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
"आई हैव ए ड्रीम" भाषण (1963)
- 28 अगस्त 1963 को वाशिंगटन डी.सी. में मार्च ऑन वाशिंगटन फॉर जॉब्स एंड फ्रीडम के दौरान, किंग ने अपना प्रसिद्ध भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की जिसमें सभी लोग समान अधिकारों का आनंद लेंगे, और नस्लीय भेदभाव समाप्त होगा।
सिविल राइट्स एक्ट (1964)
- किंग की अगुवाई में आंदोलनों ने 1964 में सिविल राइट्स एक्ट के पारित होने में मदद की, जिसने नस्लीय भेदभाव को गैरकानूनी बना दिया।
नोबेल पुरस्कार और बाद के जीवन
- नोबेल शांति पुरस्कार (1964): किंग को नस्लीय समानता और सामाजिक न्याय के लिए अहिंसक संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वियतनाम युद्ध का विरोध: 1967 में, किंग ने वियतनाम युद्ध का विरोध करना शुरू किया, जिसे उन्होंने अन्यायपूर्ण और नैतिक रूप से गलत माना।
हत्या और विरासत
- हत्या: 4 अप्रैल 1968 को मेम्फिस, टेनेसी में, किंग की जेम्स अर्ल रे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।
- विरासत: किंग की हत्या के बाद, उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मार्टिन लूथर किंग जूनियर डे को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया, जिसे हर साल जनवरी के तीसरे सोमवार को मनाया जाता है।
यहाँ मार्टिन लूथर किंग जूनियर से जुड़े कुछ विशेष और रोचक तथ्य दिए गए हैं:
1. किंग का असली नाम:
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म के समय नाम माइकल किंग जूनियर था। उनके पिता ने 1934 में जर्मनी की यात्रा के बाद दोनों के नाम बदलकर मार्टिन लूथर किंग रख लिए, जो प्रसिद्ध जर्मन सुधारक मार्टिन लूथर के नाम पर आधारित था।
2. सबसे कम उम्र के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता:
- 1964 में, किंग ने केवल 35 वर्ष की आयु में नोबेल शांति पुरस्कार जीता। उस समय वे इस पुरस्कार के सबसे कम उम्र के विजेता थे।
3. "लैटर फ्रॉम बर्मिंघम जेल" टॉयलेट पेपर पर लिखा गया था:
- जब किंग को बर्मिंघम में गिरफ्तार किया गया था, तो उन्होंने जेल से एक पत्र लिखा, जिसे अब "लैटर फ्रॉम बर्मिंघम जेल" के नाम से जाना जाता है। उन्होंने इस पत्र को जेल में उपलब्ध छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों और टॉयलेट पेपर पर लिखा था।
4. किंग ने डॉक्टरेट थीसिस में प्लेगियरिज किया:
- किंग की पीएचडी थीसिस में कुछ अंश प्लेगियरिज (नकल) के थे। यह बात 1991 में बोस्टन विश्वविद्यालय की एक जांच में सामने आई, लेकिन यह निष्कर्ष निकाला गया कि उनकी थीसिस का मूल्य इससे प्रभावित नहीं हुआ।
5. "आई हैव ए ड्रीम" भाषण की योजना:
- "आई हैव ए ड्रीम" भाषण का अंतिम हिस्सा, जो सबसे अधिक यादगार है, किंग ने वास्तविक समय में बिना किसी लिखित योजना के दिया था। उन्होंने यह हिस्सा सहज रूप से अपनी प्रेरणा के आधार पर कहा था।
6. मार्च ऑन वाशिंगटन के बाद का भोज:
- मार्च ऑन वाशिंगटन और "आई हैव ए ड्रीम" भाषण के बाद, किंग और अन्य प्रमुख नेताओं के लिए एक भोज का आयोजन किया गया था। यह भोज एक ऐसे रेस्तरां में आयोजित हुआ था जो सामान्य दिनों में अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों को सेवा नहीं देता था।
7. फ्रैंचाइज़ी के रूप में किंग:
- किंग के सम्मान में, अमेरिका में कई सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है। लगभग हर बड़े शहर में एक मार्टिन लूथर किंग जूनियर ड्राइव या मार्टिन लूथर किंग जूनियर स्ट्रीट है।
8. अंतिम भाषण और पूर्वाभास:
- अपनी हत्या से एक दिन पहले, किंग ने मेम्फिस में एक भाषण दिया था जिसे "I've Been to the Mountaintop" के नाम से जाना जाता है। इसमें उन्होंने मृत्यु के बारे में बात की, जिससे यह भाषण एक तरह का पूर्वाभास बन गया।
9. किंग के हत्यारे की गिरफ्तारी:
- किंग के हत्यारे, जेम्स अर्ल रे, को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था, जब वह फर्जी पासपोर्ट के साथ रोडेशिया (वर्तमान जिम्बाब्वे) भागने की कोशिश कर रहा था।
10. किंग का अंतिम संस्कार:
- किंग का अंतिम संस्कार अटलांटा में उनके जन्मस्थान पर हुआ, और इसमें 300,000 से अधिक लोग शामिल हुए। उनके ताबूत को म्यूल-ड्रॉवन वैगन (खच्चर से खींची जाने वाली गाड़ी) में ले जाया गया था, जैसा कि महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार में हुआ था।
निष्कर्ष
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अपने शांतिपूर्ण विरोध और न्याय के लिए दृढ़ता से खड़े होकर नस्लीय समानता के लिए संघर्ष किया। उनका जीवन और कार्य दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के आंदोलनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
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