क़ुतुब मीनार (Qutub Minar)
क़ुतुब मीनार, दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित एक विशाल मीनार है जो भारत की सबसे ऊंची मीनारों में से एक है। यह मीनार इस्लामी वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण मानी जाती है और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित की गई है।
निर्माण और इतिहास:
क़ुतुब मीनार का निर्माण 12वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था। हालांकि ऐबक ने केवल मीनार की नींव रखी थी, जबकि इसका पूरा निर्माण उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश और फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल में हुआ। मीनार के पाँच अलग-अलग मंजिलें हैं, जिनमें से प्रत्येक का निर्माण विभिन्न शासकों द्वारा किया गया।
वास्तुकला:
क़ुतुब मीनार की ऊंचाई लगभग 72.5 मीटर (238 फीट) है, और इसमें पाँच मंजिलें हैं। पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं, जबकि चौथी और पाँचवीं मंजिल सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थर से बनाई गई हैं। मीनार के आधार का व्यास लगभग 14.3 मीटर है, जो शीर्ष पर 2.7 मीटर तक घटता जाता है।
मीनार की सतह पर कुरान की आयतें और इस्लामी कलात्मकता के उदाहरण खुदे हुए हैं। मीनार की चारों ओर बनी बालकनियाँ और जालीदार काम इस्लामी स्थापत्य के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
उद्देश्य और महत्व:
क़ुतुब मीनार मूल रूप से विजय स्तंभ के रूप में बनाई गई थी, जो दिल्ली सल्तनत की जीत का प्रतीक था। यह मीनार आस-पास के कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का हिस्सा है, जो भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। मीनार का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है, जो इसे भारतीय उपमहाद्वीप की इस्लामी संस्कृति के विकास का प्रतीक बनाता है।
पर्यटक आकर्षण:
क़ुतुब मीनार न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है। यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। मीनार के पास कई अन्य ऐतिहासिक स्थल जैसे कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाज़ा, और अलाई मीनार भी देखने लायक हैं।
क़ुतुब मीनार आज भी अपनी मजबूती और आकर्षक संरचना के कारण पर्यटकों को आकर्षित करती है, और भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर मानी जाती है।
क़ुतुब मीनार से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:
1. निर्माण और समयावधि:
- निर्माण की शुरुआत: क़ुतुब मीनार का निर्माण 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था, जो गुलाम वंश का संस्थापक था।
- समाप्ति: ऐबक ने केवल मीनार की नींव रखी थी और इसकी पहली मंजिल का निर्माण किया। उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसे तीन और मंजिलें बढ़ाईं। अंतिम दो मंजिलें फिरोज शाह तुगलक ने 1368 में बनवाईं।
2. ऊंचाई:
- क़ुतुब मीनार की कुल ऊंचाई 72.5 मीटर (238 फीट) है, जो इसे दुनिया की सबसे ऊंची ईंटों से बनी मीनार बनाती है।
3. स्थापत्य शैली:
- मीनार की वास्तुकला में इस्लामी और हिंदू शिल्पकला का मिश्रण देखा जा सकता है। मीनार के चारों ओर की नक्काशी और आयतें इस्लामी कला का उदाहरण हैं, जबकि इसके आस-पास के खंभों और अन्य संरचनाओं में हिंदू शैली की नक्काशी और सजावट दिखाई देती है।
- यह मीनार लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर का उपयोग करके बनाई गई है। मीनार पर बनी बालकनियाँ और अर्ध-गोलाकार आधार इस्लामी स्थापत्य कला की विशिष्ट विशेषताएँ हैं।
4. ऐतिहासिक घटनाएँ:
- विनाश और पुनर्निर्माण: मीनार को कई बार क्षति पहुँची। 1369 में इसकी सबसे ऊपरी मंजिल बिजली गिरने से क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसे फिरोज शाह तुगलक ने पुनः निर्मित किया। इसके बाद 1505 में एक भूकंप से इसे नुकसान हुआ, जिसे सिकंदर लोदी ने पुनर्स्थापित किया।
- भूकंप और मरम्मत: 1803 में एक और भूकंप आया, जिसके बाद ब्रिटिश अधिकारी मेजर रॉबर्ट स्मिथ ने 1828 में मीनार की मरम्मत करवाई।
5. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद:
- क़ुतुब मीनार के समीप स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण भी कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया था। यह भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक मानी जाती है।
6. लोहे का स्तंभ:
- क़ुतुब मीनार के परिसर में स्थित लोहे का स्तंभ एक और आश्चर्यजनक संरचना है। इसे चौथी शताब्दी में बनाया गया था और इसका रहस्य यह है कि यह हजारों सालों से बिना जंग लगे खड़ा है। स्तंभ की ऊँचाई लगभग 7 मीटर है।
7. अलाई मीनार:
- क़ुतुब मीनार के पास स्थित अलाई मीनार एक अधूरी मीनार है जिसे खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाना शुरू किया था। उन्होंने इसे क़ुतुब मीनार से भी ऊँचा बनाने का प्रयास किया था, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद इसका निर्माण अधूरा रह गया।
8. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल:
- 1993 में, क़ुतुब मीनार और इसके आसपास के स्मारकों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया।
9. सीढ़ियाँ:
- मीनार के अंदर लगभग 379 सीढ़ियाँ हैं, जो इसकी ऊपरी मंजिल तक जाती हैं। हालांकि, पर्यटकों की सुरक्षा के कारण अब अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
10. वास्तुकार:
- क़ुतुब मीनार का निर्माण वास्तुकार हसन-उद-दीन द्वारा किया गया था।
क़ुतुब मीनार से जुड़े ये तथ्य इसे ऐतिहासिक और स्थापत्य दृष्टि से एक अनमोल धरोहर बनाते हैं।
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