Mysore Palace (मैसूर पैलेस)


 मैसूर पैलेस (Mysore Palace), जिसे अंबा विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर में स्थित है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध और भव्य महलों में से एक है, जो अपनी शानदार वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह महल मैसूर के शाही परिवार, वाडियार वंश, का आधिकारिक निवास था, और यह उनकी शाही शक्ति और वैभव का प्रतीक है।


1. इतिहास

मैसूर पैलेस का निर्माण वाडियार वंश के शासनकाल के दौरान किया गया था। इसका वर्तमान स्वरूप 20वीं सदी की शुरुआत में निर्मित हुआ:

  • 1399: वाडियार वंश की स्थापना हुई, जिन्होंने मैसूर राज्य पर शासन किया।
  • 1897: पुराने महल को आग से गंभीर क्षति पहुँची थी। उसके बाद वाडियार वंश के राजा कृष्णराज वाडियार IV ने नए महल का निर्माण शुरू किया।
  • 1912: वर्तमान मैसूर पैलेस का निर्माण प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन द्वारा पूरा किया गया। यह महल इंडो-सारासेनिक वास्तुकला शैली में बनाया गया, जिसमें हिंदू, इस्लामी, राजपूत और गोथिक शैली का समावेश है।

2. वास्तुकला

मैसूर पैलेस की वास्तुकला बेहद भव्य और विविधता से भरी हुई है। यह इंडो-सारासेनिक शैली का एक प्रमुख उदाहरण है, जो भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के साथ यूरोपीय गोथिक शैली को मिलाती है।

  • इंडो-सारासेनिक शैली: महल की डिज़ाइन में राजपूत, मुग़ल, हिंदू और गोथिक शैलियों का मिश्रण है। यह एक प्रकार की औपनिवेशिक युग की शैली है, जिसमें गुंबद, मेहराब और मीनारों का संयोजन देखने को मिलता है।
  • गुंबद और मीनारें: महल में कई गुंबद और मीनारें हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख मध्य गुंबद है, जो इसकी भव्यता को दर्शाता है।
  • दीवारें और छत: महल के अंदर की दीवारें और छतें शानदार नक्काशी, भित्ति चित्रों और दर्पणों से सजी हुई हैं, जो राजा और रानी के दरबार के वैभव और शक्ति को दर्शाती हैं।
  • दरबार हॉल: महल के अंदर कई भव्य हॉल हैं, जिनमें सबसे प्रमुख दरबार हॉल है, जहाँ राजा अपने दरबार का आयोजन करते थे। यहाँ का रंग-बिरंगा शीशों का काम और नक्काशी इसकी भव्यता को और भी खास बनाते हैं।

3. आंतरिक सजावट

मैसूर पैलेस के अंदरूनी हिस्से की सजावट बेहद भव्य और आकर्षक है। इसमें विभिन्न हॉल, महल के गलियारे, और व्यक्तिगत कमरे शामिल हैं, जिनमें से हर एक को अत्यधिक खूबसूरत नक्काशी, कांच का काम, और बहुमूल्य सामग्री से सजाया गया है।

  • दरबार हॉल: यह सबसे प्रमुख कक्ष है, जहाँ राजा और दरबारियों के बीच सभाएँ होती थीं। इसकी सजावट में सोने की छत, अलंकृत खंभे, और भव्य झूमर शामिल हैं।
  • महल की पेंटिंग्स: महल में विभिन्न पेंटिंग्स हैं, जो मैसूर के राजा और उनकी वीरता को दर्शाती हैं। इन चित्रों में राजसी समारोहों और धार्मिक आयोजनों का चित्रण किया गया है।
  • महल के गलियारे: महल के गलियारे संगमरमर की टाइलों से सजे हुए हैं और यहाँ विभिन्न ऐतिहासिक चित्र लगे हुए हैं।

4. महल की रोशनी (Illumination)

मैसूर पैलेस अपने सुंदर रोशनी समारोह के लिए भी प्रसिद्ध है। हर रविवार और विशेष त्योहारों जैसे दशहरा के दौरान, महल को एक लाख से अधिक बल्बों से सजाया जाता है, जिससे यह रात के समय में अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यह महल की सबसे प्रमुख और आकर्षक विशेषता है, जो पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करती है।

5. दशहरा समारोह

मैसूर पैलेस का दशहरा उत्सव विश्व प्रसिद्ध है। यह मैसूर का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है, जो 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान महल को रंगीन रोशनी से सजाया जाता है, और शाही जुलूस निकाले जाते हैं, जिनमें हाथियों, घोड़ों और शाही परिवार के सदस्यों की भागीदारी होती है। जंबो सवारी (हाथियों पर निकलने वाला जुलूस) इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण होता है।

6. शाही खजाना और संग्रहालय

मैसूर पैलेस के अंदर एक संग्रहालय भी स्थित है, जहाँ वाडियार वंश के शाही खजाने, आभूषण, वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र और शाही साज-सामान को प्रदर्शित किया गया है। यह संग्रहालय महल के गौरवशाली अतीत और वाडियार परिवार के जीवन की झलक प्रस्तुत करता है।

7. सात द्वार और महल परिसर

मैसूर पैलेस में प्रवेश करने के लिए सात प्रमुख द्वार हैं, जिनमें से हर एक का ऐतिहासिक महत्व है। महल परिसर में सुंदर बगीचे और फव्वारे हैं, जो इसे और भी भव्य और आकर्षक बनाते हैं।

8. शाही मंदिर

महल परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी स्थित हैं, जिनमें से प्रमुख मंदिर हैं:

  • श्री लक्ष्मी रमणस्वामी मंदिर
  • श्री श्वेता वराहस्वामी मंदिर
  • श्री त्रिनेत्रेश्वर मंदिर

9. पर्यटन और महत्वपूर्ण स्थल

मैसूर पैलेस हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह कर्नाटक राज्य का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है और देश के सबसे प्रसिद्ध महलों में से एक है। इसकी वास्तुकला, इतिहास, और सांस्कृतिक महत्त्व इसे एक महत्वपूर्ण धरोहर स्थल बनाते हैं।

10. वर्तमान स्थिति

वाडियार वंश के शाही परिवार का अब भी महल में एक हिस्सा आवासीय उपयोग में आता है, जबकि बाकी हिस्सा पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

मैसूर पैलेस (Mysore Palace) से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं जो इसके भव्य इतिहास, वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व को और भी आकर्षक बनाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख रोचक तथ्य दिए गए हैं:

1. तीन महलों का निर्माण

  • वर्तमान मैसूर पैलेस, वाडियार वंश द्वारा निर्मित तीसरा महल है। पहले दो महल या तो क्षतिग्रस्त हो गए थे या आग से नष्ट हो गए थे। मौजूदा महल का निर्माण 1912 में पूरा हुआ था, जब इसे पूरी तरह से पुनर्निर्मित किया गया।

2. इंडो-सारासेनिक वास्तुकला

  • यह महल इंडो-सारासेनिक वास्तुकला शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो हिंदू, इस्लामी, राजपूत और गोथिक शैली का मिश्रण है। इस शैली में भारत की विविध वास्तुकला का अद्वितीय सम्मिलन देखने को मिलता है।

3. 10 लाख बल्बों से जगमगाता महल

  • हर साल दशहरा उत्सव के दौरान और हर रविवार को, महल को एक लाख से अधिक बल्बों से रोशन किया जाता है। यह अद्भुत दृश्य पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है और रात में महल बेहद शानदार दिखता है।

4. कांच और रंगीन खिड़कियाँ

  • महल की खिड़कियों पर रंगीन कांच लगाए गए हैं, जो सूर्य की रोशनी में चमकते हैं और महल के अंदर एक भव्य और रंगीन वातावरण पैदा करते हैं। इन खिड़कियों की नक्काशी और कांच का काम देखने लायक है।

5. महल के अंदरूनी भाग का भव्य सोने का काम

  • महल के अंदर, खासकर दरबार हॉल की छत और दीवारों पर शानदार सोने का काम किया गया है। यह शाही वैभव का प्रतीक है, जो महल की भव्यता को और भी निखारता है।

6. दशहरा उत्सव का महत्त्व

  • मैसूर पैलेस दशहरा उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। यह महल दशहरा के 10 दिनों के दौरान शाही जुलूसों, हाथियों की सवारी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रमुख स्थल होता है। यह उत्सव पूरे देश और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।

7. राजसी सिंहासन

  • मैसूर पैलेस में एक अद्वितीय राजसी सिंहासन (Golden Throne) भी रखा गया है, जिसे सोने और कीमती रत्नों से सजाया गया है। यह सिंहासन दशहरा के दौरान विशेष रूप से सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा जाता है और इसे वाडियार राजाओं की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।

8. मूल महल की वास्तुकार थी एक रानी

  • पहले मैसूर पैलेस की डिज़ाइन एक महिला, रानी केमपे गौड़ा, द्वारा की गई थी। बाद में जब यह महल आग से नष्ट हो गया, तो इसका पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन इसका मूल डिज़ाइन वाडियार वंश की महारानी द्वारा ही किया गया था।

9. भारत का दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला महल

  • ताजमहल के बाद, मैसूर पैलेस भारत का दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटक स्थल है। इसे हर साल करीब 60 लाख से अधिक पर्यटक देखने आते हैं।

10. महल के अंदर गुप्त सुरंगें

  • यह माना जाता है कि मैसूर पैलेस के नीचे गुप्त सुरंगें थीं, जो शाही परिवार के लिए आपातकालीन निकास के रूप में बनाई गई थीं। ये सुरंगें विभिन्न गुप्त स्थानों तक जाती थीं और युद्ध के समय उपयोगी होती थीं।

11. कविता के रूप में चित्रित दरबार

  • महल में स्थित दरबार हॉल की छतों और दीवारों पर चित्रित दृश्य महाकाव्यों और शाही जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाते हैं। इन चित्रों में मैसूर के समृद्ध इतिहास की झलक मिलती है, जो भारतीय कला और संस्कृति का हिस्सा है।

12. महल के अंदर मंदिर

  • महल के परिसर में 12 मंदिर स्थित हैं, जिनमें से कुछ 14वीं शताब्दी के हैं। इन मंदिरों में लक्ष्मी रामणस्वामी मंदिर, श्वेता वराहस्वामी मंदिर, और सोमेश्वर मंदिर प्रमुख हैं, जो इस महल को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं।

13. दरबार हॉल की चित्रकारी

  • दरबार हॉल की चित्रकारी बेहद शानदार है। इसमें भारतीय शाही इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों को बेहद बारीकी से चित्रित किया गया है। इन चित्रों की सुंदरता और विस्तृत नक्काशी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

14. कृत्रिम हाथियों की सवारी

  • दशहरा उत्सव के दौरान मैसूर पैलेस में शाही जुलूस निकाला जाता है, जिसमें कृत्रिम हाथियों की सवारी भी की जाती है। इन हाथियों को पारंपरिक ढंग से सजाया जाता है और यह उत्सव का प्रमुख आकर्षण होता है।

15. संगीत फव्वारे और उद्यान

  • महल के चारों ओर एक सुंदर संगीत फव्वारा और बगीचा है। शाम के समय यह फव्वारा संगीत के साथ चलता है और पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। यह स्थल फोटो खिंचवाने के लिए भी बहुत लोकप्रिय है।

मैसूर पैलेस के ये रोचक तथ्य इसे एक अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर बनाते हैं, जो भारतीय इतिहास की समृद्धि और शाही वैभव का अद्वितीय उदाहरण है।

निष्कर्ष

मैसूर पैलेस भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसकी भव्य वास्तुकला, ऐतिहासिक समृद्धि और सांस्कृतिक उत्सवों के कारण यह महल भारत के प्रमुख धरोहर स्थलों में शामिल है। यह न केवल शाही वाडियार वंश की शक्ति और गौरव का प्रतीक है, बल्कि भारत की विविध और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का एक जीता-जागता उदाहरण है।


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