मेहरानगढ़ किला (Mehrangarh Fort)
मेहरानगढ़ किला (Mehrangarh Fort) राजस्थान के जोधपुर शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जिसे भारत के सबसे बड़े और भव्य किलों में से एक माना जाता है। इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में राव जोधा द्वारा 1459 ई. में किया गया था। मेहरानगढ़ किला लगभग 400 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और शहर के चारों ओर से देखा जा सकता है। इसकी विशाल दीवारें और स्थापत्य शैली राजपूत कला और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
किले का स्थापत्य और संरचना:
प्रवेश द्वार (गेट्स): किले में कई बड़े-बड़े प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से मुख्य द्वारों में जयपोल (जय का द्वार), फतेहपोल (जीत का द्वार), और लोहापोल शामिल हैं। जयपोल का निर्माण महाराजा मान सिंह ने जयपुर और बीकानेर की सेनाओं पर जीत के बाद कराया था, जबकि फतेहपोल का निर्माण अजीत सिंह द्वारा मुगलों पर विजय के उपलक्ष्य में किया गया था।
दीवारें और बुर्ज: किले की दीवारें बहुत ऊँची और मोटी हैं, जिनका निर्माण पहाड़ी की प्राकृतिक संरचना के अनुसार किया गया है। इन दीवारों पर कई बुर्ज (टावर) हैं, जिनसे सैनिक शहर पर नज़र रखते थे।
महल: किले के भीतर कई महल स्थित हैं, जैसे मोती महल (मोती का महल), फूल महल (फूलों का महल), शीश महल (शीशे का महल), तखत विलास, और झांकी महल। हर महल अपनी विशिष्ट कला और स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है।
- मोती महल: यह सबसे पुराना महल है, जहां राजा बैठकर अपने दरबारियों से मिलते थे।
- फूल महल: यह महल राजा की निजी सभाओं के लिए था और इसका आंतरिक सजावट सुनहरे रंगों और फूलों के डिज़ाइन से सजी हुई है।
- शीश महल: शीश महल अपने शीशे के काम और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।
संग्रहालय (Museum): मेहरानगढ़ किले में एक विशाल संग्रहालय है, जहां प्राचीन हथियार, शाही वस्त्र, पालकियाँ, चित्रकला, और अन्य राजसी वस्तुएं प्रदर्शित हैं। यह संग्रहालय राजस्थान के शाही इतिहास को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
नक्काशी और चित्रकला: किले की दीवारों और महलों में अत्यंत सुंदर नक्काशी और चित्रकला का काम किया गया है। राजपूत और मुगल कला का मिश्रण किले की विशेषता है, और इसकी सजावट बारीक कारीगरी और जटिल डिजाइनों से भरी हुई है।
मेहरानगढ़ किला राठौर राजवंश की शान और सामर्थ्य का प्रतीक है। इसका निर्माण राव जोधा ने अपनी नई राजधानी के रूप में किया था। इस किले ने कई युद्ध देखे हैं और यह राजस्थान के राजनीतिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। मुगलों और राजपूतों के बीच के संघर्षों के समय में यह किला एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान था।
मेहरानगढ़ किला का इतिहास बेहद समृद्ध और रोचक है, जो राजपूत शासकों की शौर्यगाथा और राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है। इस किले से जुड़ी मुख्य घटनाओं और तिथियों का विस्तारपूर्वक वर्णन इस प्रकार है:
1. 1459 ई. - किले की स्थापना:
- राव जोधा, जोधपुर के संस्थापक और राठौर वंश के 15वें शासक, ने 1459 ई. में मेहरानगढ़ किले की नींव रखी। इससे पहले राठौर शासकों की राजधानी मंडोर थी, जो जोधपुर से लगभग 9 किमी दूर स्थित है।
- मंडोर असुरक्षित हो गया था, इसलिए राव जोधा ने एक नई राजधानी के निर्माण की आवश्यकता महसूस की और इसे पहाड़ी पर स्थापित किया।
- किले का नाम "मेहरानगढ़" (संस्कृत शब्द "मिहिर" से, जिसका अर्थ है सूर्य) रखा गया, क्योंकि राठौर वंश के लोग सूर्य देवता को अपना पूर्वज मानते थे।
2. 16वीं शताब्दी - किले का विस्तार:
- किले के निर्माण के बाद, विभिन्न राठौर शासकों ने इसे समय-समय पर और विस्तृत और सुदृढ़ किया। किले की विशाल दीवारें और महल मुख्य रूप से 16वीं और 17वीं शताब्दी में बनाए गए।
- इसी समय, मोती महल, फूल महल, और शीश महल जैसे प्रमुख महलों का निर्माण किया गया।
3. 1581 ई. - अकबर का आक्रमण:
- मुगल सम्राट अकबर ने मेहरानगढ़ किले पर हमला किया और इसे राठौर शासक मालदेव से छीन लिया। इस घटना के बाद, जोधपुर और मुगलों के बीच संबंध बेहतर हो गए और राजपूत-मुगल गठजोड़ की शुरुआत हुई।
- मुगलों ने जोधपुर के राठौर शासकों को सम्मानजनक स्थान दिया, और कई राजपूत राजकुमारों ने मुगल सेना में प्रमुख पद ग्रहण किए।
4. 1679 ई. - अजीत सिंह का संघर्ष:
- 1679 ई. में, मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने मारवाड़ पर कब्जा कर लिया और जोधपुर के शासक महाराजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद, उनके पुत्र अजीत सिंह को जोधपुर का शासक बनने से रोकने का प्रयास किया।
- इसके बाद, अजीत सिंह और राजपूतों ने मेहरानगढ़ किले को वापस लेने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया। उन्होंने 1707 ई. में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मेहरानगढ़ किले को पुनः प्राप्त कर लिया और जोधपुर पर राज किया।
5. 18वीं शताब्दी - किले का पुनर्निर्माण और सुदृढ़ीकरण:
- अजीत सिंह और उनके उत्तराधिकारियों ने किले के विभिन्न हिस्सों को पुनः निर्मित किया और इसे और अधिक भव्य और सुदृढ़ बनाया। इस काल में किले में कई संरचनाएं जोड़ी गईं, जिनमें से प्रमुख फतेहपोल, लोहापोल, और डेड किले के द्वार शामिल हैं।
- महाराजा मानसिंह के शासनकाल (1803-1843 ई.) में किले में कई और भवन और महल जोड़े गए। इस दौरान किले का आंतरिक सौंदर्यीकरण और सजावट उच्चतम स्तर पर पहुंचा।
- मानसिंह ने अपने शासनकाल में किले के भीतर कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिससे किले का सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ा।
7. 1818 ई. - ब्रिटिश अधीनता:
- 1818 ई. में, जोधपुर के महाराजा ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे जोधपुर ब्रिटिश संरक्षण में आ गया। हालांकि जोधपुर के राजाओं को किले का नियंत्रण बना रहा, लेकिन वे ब्रिटिश शासन के अंतर्गत थे।
8. 1947 ई. - भारतीय स्वतंत्रता और राजशाही का अंत:
- भारत के स्वतंत्र होने के बाद, जोधपुर राज्य भारत में विलीन हो गया और मेहरानगढ़ किला अब जोधपुर के राठौर राजवंश का निजी निवास बना रहा।
- किले को सार्वजनिक रूप से संग्रहालय और पर्यटन स्थल के रूप में खोला गया, जहां आज भी हजारों पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं।
9. 1996 ई. - संग्रहालय का उद्घाटन:
- 1996 ई. में, महाराजा गज सिंह II ने मेहरानगढ़ किले में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया, जहां किले के इतिहास और राठौर वंश की धरोहर को प्रदर्शित किया गया। यह संग्रहालय राजपूत शस्त्र, पोशाक, चित्रकला, और अन्य प्राचीन वस्तुओं का संग्रह है।
10. वर्तमान स्थिति:
- आज मेहरानगढ़ किला राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह किला अपने इतिहास, स्थापत्यकला, और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। किले का संग्रहालय और महल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, और यह किला राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है।
सारांश:
मेहरानगढ़ किला का इतिहास राजस्थान के शासकों की वीरता और धरोहर को दर्शाता है। यह किला लगभग 500 वर्षों से अधिक के इतिहास का साक्षी है, जिसमें मुगलों, राजपूतों और अंग्रेजों का प्रभाव देखा गया है।
रोचक तथ्य:
- किले की मोटी दीवारों पर तोप के गोले भी असर नहीं कर सके थे।
- किले से जोधपुर शहर का दृश्य बहुत ही मनमोहक और शानदार है। यह किला एक पर्यटन स्थल के रूप में भी अत्यंत लोकप्रिय है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
किले के भीतर कई मंदिर भी स्थित हैं, जिनमें चामुंडा माता का मंदिर सबसे प्रमुख है। यह किले का एक धार्मिक केंद्र भी है, जहां नवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के दौरान भारी भीड़ जमा होती है।
मेहरानगढ़ किला न केवल अपनी भव्यता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का सजीव प्रमाण है।
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