हुमायूँ का मकबरा (Humayun's Tomb)

 हुमायूँ का मकबरा भारत के राजधानी दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक मकबरा है, जिसे मुगल सम्राट हुमायूँ की याद में बनवाया गया था। यह मकबरा भारतीय-इस्लामी वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है और इसे भारत के पहले बाग मकबरे (Garden Tomb) के रूप में भी जाना जाता है। इसे हुमायूँ की विधवा, हमीदा बानो बेगम, ने 1565 ईस्वी में बनवाना शुरू किया था और इसका निर्माण 1572 में पूरा हुआ।

इतिहास:

हुमायूँ की मृत्यु 1556 में हुई थी, और उसके बाद उसकी पत्नी हमीदा बानो बेगम ने इस मकबरे को बनवाने का आदेश दिया। मकबरे का डिज़ाइन मीरक मिर्ज़ा घियास नामक एक फारसी वास्तुकार ने तैयार किया था।

हुमायूँ का मकबरा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है, जो मुगल साम्राज्य के दूसरे सम्राट हुमायूँ के सम्मान में बनाया गया था। इसका निर्माण न केवल एक व्यक्तिगत स्मारक के रूप में हुआ, बल्कि यह भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल वास्तुकला के विकास का महत्वपूर्ण चरण भी दर्शाता है। यहां हुमायूँ के मकबरे से संबंधित प्रमुख तिथियों का विस्तार दिया गया है:


1. हुमायूँ की मृत्यु – 27 जनवरी 1556

  • हुमायूँ की मृत्यु दिल्ली में हुई थी। वह अपने पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर गए थे, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। उनके निधन के बाद, उनके बेटे अकबर ने मुगल साम्राज्य की बागडोर संभाली। हुमायूँ की मृत्यु के बाद उनके शव को पहले पुराना किला, दिल्ली में दफनाया गया, फिर अंततः उनके मकबरे में रखा गया।

2. मकबरे के निर्माण का आदेश – 1565

  • हुमायूँ की विधवा हमीदा बानो बेगम ने अपने पति की याद में मकबरे के निर्माण का आदेश दिया। निर्माण कार्य 1565 में प्रारंभ हुआ, यानी हुमायूँ की मृत्यु के लगभग 9 साल बाद। मकबरे का निर्माण अकबर के शासनकाल में हुआ और इसे बनाने में लगभग 7 साल लगे।

3. मुख्य वास्तुकार – मीरक मिर्ज़ा घियास

  • मकबरे का डिज़ाइन फारसी वास्तुकार मीरक मिर्ज़ा घियास द्वारा तैयार किया गया था, जो एक प्रमुख फारसी वास्तुकार थे। वह इस मकबरे की डिजाइन और निर्माण के लिए विशेष रूप से दिल्ली आए थे। हुमायूँ का मकबरा उस समय की फारसी वास्तुकला और भारतीय स्थापत्य शैली का मेल है।

4. निर्माण कार्य पूर्ण – 1572

  • हुमायूँ का मकबरा 1572 में पूरा हुआ। यह मकबरा 1565 से 1572 तक 7 साल में बनकर तैयार हुआ था। इसे बनने में बहुत सारा श्रम और संसाधन लगा, और इस मकबरे के निर्माण ने मुग़ल स्थापत्य कला को एक नई दिशा दी।

5. मुगल साम्राज्य का पहला बाग मकबरा – 1572

  • यह मकबरा चारबाग शैली का पहला महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो फारसी उद्यान प्रणाली पर आधारित है। चारबाग में चार हिस्से होते हैं, जो एक-दूसरे से जल-नहरों द्वारा जुड़े होते हैं। यह मकबरा एक विशाल बगीचे के बीचों-बीच स्थित है, जो इसकी सुंदरता और महत्ता को बढ़ाता है।

6. हुमायूँ की कब्र का स्थानांतरण – 1556 और फिर 1572

  • हुमायूँ की मृत्यु के बाद, उनके शव को पहले अस्थायी रूप से पुराना किला (दिल्ली) में दफनाया गया था। बाद में, मकबरे के निर्माण के पूरा होने पर, 1572 में उनका शरीर यहां पुनः दफन किया गया।

7. सन् 1857 का विद्रोह – हुमायूँ के मकबरे का महत्व

  • सन् 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, यह मकबरा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया था। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र ने 1857 के विद्रोह के समय इसी मकबरे में शरण ली थी। यह विद्रोह असफल हो गया और अंग्रेज़ों ने बहादुर शाह ज़फ़र को गिरफ़्तार कर रंगून (अब म्यांमार) निर्वासित कर दिया।

8. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल – 1993

  • हुमायूँ का मकबरा 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। इसके बाद, इसे संरक्षित करने के लिए कई पुनर्निर्माण और संरक्षण कार्य किए गए।

9. अहमदाबाद अगा खान ट्रस्ट की बहाली परियोजना – 1997 से 2003

  • मकबरे की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए अगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1997 से 2003 के बीच बहाली का कार्य किया। इस परियोजना का उद्देश्य मकबरे के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित रखना था।

10. समकालीन महत्व

  • आज, हुमायूँ का मकबरा भारतीय पर्यटन का एक प्रमुख स्थल है और यह भारत की मुगल धरोहर का अद्वितीय प्रतीक है। यह स्थल भारत के समृद्ध इतिहास और वास्तुकला की झलक पेश करता है और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।

वास्तुकला की विशेषताएँ:

  1. स्थापत्य शैली: हुमायूँ का मकबरा मुगल वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें भारतीय, फारसी, और इस्लामी स्थापत्य तत्वों का मिश्रण देखने को मिलता है। इसमें ऊंचे मेहराब, गुंबद और विस्तृत बगीचे हैं।

  2. सामग्री: मकबरे का निर्माण मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से हुआ है, जिसमें सफेद संगमरमर का भी इस्तेमाल किया गया है। मकबरे का मुख्य गुंबद सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जो इसे भव्य और सुंदर बनाता है।

  3. चारबाग शैली: मकबरे के चारों ओर एक विशाल बगीचा है, जिसे चारबाग (चार-भागों वाला बगीचा) शैली में डिज़ाइन किया गया है। यह फारसी बाग प्रणाली है, जिसमें चार हिस्से होते हैं जो एक दूसरे से जल-नहरों द्वारा जुड़े होते हैं। बगीचे का केंद्र मकबरा है, जो इस पूरी संरचना को एक संतुलन प्रदान करता है।

  4. मकबरे की संरचना: मकबरे का मुख्य भवन अष्टकोणीय है और इसकी ऊंचाई लगभग 47 मीटर है। इसके केंद्र में हुमायूँ की कब्र है, जिसके चारों ओर विभिन्न अन्य कब्रें भी हैं, जो हुमायूँ के परिवार और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की हैं। मुख्य गुंबद विशाल और सफेद संगमरमर से बना है, जो इस मकबरे की प्रमुख विशेषताओं में से एक है।

  5. प्रभाव: हुमायूँ के मकबरे का डिज़ाइन और निर्माण ताजमहल सहित कई अन्य मुगल स्मारकों पर प्रभावी रहा। यह मकबरा मुगल साम्राज्य के स्थापत्य विकास की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। 

हुमायूँ के मकबरे से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य निम्नलिखित हैं, जो इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुकला संबंधी विशेषताओं को दर्शाते हैं:

1. मुगल बाग मकबरे का पहला उदाहरण:

  • हुमायूँ का मकबरा भारत का पहला चारबाग शैली में निर्मित मकबरा है। यह शैली फारसी उद्यान प्रणाली पर आधारित है, जिसमें मकबरे के चारों ओर एक बड़ा बाग होता है, जिसे चार हिस्सों में विभाजित किया जाता है, जो एक-दूसरे से जल-नहरों के माध्यम से जुड़े होते हैं। इस शैली का बाद में ताजमहल जैसे अन्य मुगल स्मारकों में भी उपयोग किया गया।

2. पहला दोहरा गुंबद (Double Dome):

  • हुमायूँ के मकबरे में पहला दोहरा गुंबद इस्तेमाल किया गया था, जो बाद में मुगल वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया। इस गुंबद के अंदर एक छोटा गुंबद होता है, जिससे बाहरी गुंबद का आकार बड़ा दिखता है, जबकि आंतरिक गुंबद कमरे के अनुरूप रहता है।

3. मुगल स्थापत्य शैली की शुरुआत:

  • यह मकबरा मुगल स्थापत्य शैली की पहली पूर्ण संरचना थी, जिसमें भारतीय, फारसी, और इस्लामी तत्वों का मिश्रण है। इसका निर्माण ताजमहल और लाल किला जैसे बाद के स्मारकों के लिए प्रेरणा बना।

4. हमीदा बानो बेगम द्वारा निर्मित:

  • हुमायूँ का मकबरा उनकी विधवा हमीदा बानो बेगम ने हुमायूँ की मृत्यु के नौ साल बाद उनके सम्मान में बनवाया था। हमीदा बानो बेगम ने फारसी वास्तुकार मीरक मिर्ज़ा घियास को इसकी डिज़ाइन और निर्माण का कार्य सौंपा।

5. रेड सैंडस्टोन का उपयोग:

  • मकबरे का निर्माण मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर (Red Sandstone) से हुआ है, जिसमें सफेद और काले संगमरमर का भी उपयोग किया गया है। इस भवन के बाहरी हिस्सों में जटिल नक्काशी और पच्चीकारी का काम किया गया है।

6. प्रभावशाली आकार:

  • हुमायूँ का मकबरा अपने विशाल आकार के लिए जाना जाता है। मकबरे का मुख्य ढांचा लगभग 47 मीटर ऊँचा है, और इसका गुंबद मकबरे की सबसे प्रभावशाली विशेषता है। मकबरे की भव्यता इसे अन्य ऐतिहासिक मकबरों से अलग करती है।

7. कब्रों का समूह:

  • हुमायूँ के मकबरे के परिसर में केवल हुमायूँ की ही नहीं, बल्कि कई अन्य मुग़ल राजाओं, रानियों और शाही परिवार के सदस्यों की भी कब्रें हैं। इसे मुगल वंश के कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता है। यहां दफन होने वाले अन्य शाही सदस्यों में हुमायूँ के बेटे दारा शिकोह और शाहजहाँ की बेटी जहांआरा बेगम शामिल हैं।

8. 1857 के विद्रोह का प्रमुख स्थल:

  • सन् 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र ने इस मकबरे में शरण ली थी। विद्रोह के असफल होने के बाद अंग्रेज़ों ने उन्हें इसी मकबरे से गिरफ़्तार किया और रंगून (अब म्यांमार) निर्वासित कर दिया।

9. बहाली और पुनर्निर्माण:

  • मकबरे की बहाली का प्रमुख कार्य अगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर द्वारा 1997 से 2003 तक किया गया था। इसका उद्देश्य मकबरे की मूल वास्तुकला और इसकी ऐतिहासिक विशेषताओं को संरक्षित करना था।

10. ताजमहल की प्रेरणा:

  • हुमायूँ का मकबरा ताजमहल के निर्माण के लिए प्रेरणा का स्रोत माना जाता है। मकबरे की चारबाग शैली, केंद्र में मकबरा, और सफेद संगमरमर का गुंबद बाद में ताजमहल जैसी अन्य मुगल संरचनाओं में भी देखने को मिलता है।

11. सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प प्रभाव:

  • यह मकबरा फारसी और मध्य एशियाई वास्तुकला का भारतीय उपमहाद्वीप में प्रभावी प्रवेश का प्रतीक है। हुमायूँ का मकबरा भारतीय और फारसी स्थापत्य परंपराओं के समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो बाद में पूरे मुगल साम्राज्य में व्यापक रूप से अपनाया गया।

12. अन्य संरचनाएं:

  • हुमायूँ के मकबरे के चारों ओर कई अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं भी हैं, जिनमें इसा खान का मकबरा और बार्बर की मस्जिद शामिल हैं। ये मकबरे भी मुगल काल की स्थापत्य शैली के उदाहरण हैं।

निष्कर्ष:

हुमायूँ का मकबरा सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह मुगलों की वास्तुकला और उनकी संस्कृति का प्रतीक है। यह मकबरा भारतीय और फारसी स्थापत्य के अद्वितीय मेल का प्रतीक है, जो इतिहास में इसकी विशेष भूमिका को दर्शाता है।



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