ग्वालियर किला (Gwalior Fort)

 ग्वालियर का किला मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है और इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक किलों में से एक माना जाता है। इस किले का निर्माण कई शासकों द्वारा अलग-अलग काल में किया गया, और यह अपनी भव्यता, वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

किले का इतिहास:

ग्वालियर किले का इतिहास लगभग 1,000 साल पुराना है। इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में सूर्यवंशी राजा सूरज सेन द्वारा करवाया गया था। राजा सूरज सेन ने एक संत ग्वालिपा की कृपा से कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी, जिसके बाद उन्होंने इस किले का नाम संत के नाम पर 'ग्वालियर' रखा। इसके बाद विभिन्न राजवंशों ने इस किले पर शासन किया, जिनमें प्रतिहार, तोमर, मुगल और सिंधिया प्रमुख हैं।

प्रारंभिक इतिहास:

ग्वालियर किले का इतिहास 8वीं शताब्दी से शुरू होता है। इस किले का निर्माण सूर्यवंशी राजा सूरज सेन द्वारा करवाया गया था। एक किंवदंती के अनुसार, राजा सूरज सेन को कुष्ठ रोग था, और एक संत ग्वालिपा की कृपा से उन्हें इस रोग से मुक्ति मिली। इस घटना से अभिभूत होकर राजा ने संत ग्वालिपा के नाम पर इस स्थान का नाम 'ग्वालियर' रखा और यहाँ एक किले का निर्माण करवाया। इसके बाद यह किला कई राजवंशों और शासकों के अधीन रहा।

प्रतिहार वंश:

प्रतिहार वंश ने ग्वालियर पर कई वर्षों तक शासन किया और इस दौरान किले का विस्तार और मजबूती हुई। 9वीं से 10वीं शताब्दी के दौरान, प्रतिहारों ने ग्वालियर को एक सुदृढ़ दुर्ग के रूप में विकसित किया। उन्होंने यहाँ पर कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया, जिनमें सास-बहू मंदिर और तेली का मंदिर प्रमुख हैं।

तोमर वंश:

तोमर वंश ने 15वीं शताब्दी में ग्वालियर पर कब्जा किया। तोमर वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक राजा मान सिंह तोमर थे, जिन्होंने ग्वालियर किले को उसकी वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक नया आयाम दिया। राजा मान सिंह ने मान मंदिर महल का निर्माण करवाया, जो आज भी किले का सबसे प्रसिद्ध हिस्सा है।

मान सिंह का शासनकाल ग्वालियर किले के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। उन्होंने किले को एक सांस्कृतिक और कला केंद्र के रूप में विकसित किया, जहाँ संगीत, नृत्य और अन्य कलाओं का भरपूर विकास हुआ। मान सिंह तोमर की रानी मृगनयनी के लिए गुजरी महल बनवाया गया था, जो आज एक संग्रहालय है। इस महल में तोमर काल की कला और संस्कृति के अवशेष संरक्षित हैं।

मुगल काल:

16वीं शताब्दी में ग्वालियर किला मुगलों के अधीन आ गया। बाबर ने ग्वालियर किले की भव्यता की प्रशंसा की थी और इसे "भारत के किलों का गहना" कहा था। अकबर के शासनकाल में यह किला एक प्रमुख सैन्य और प्रशासनिक केंद्र बना। मुगल काल में किले का रणनीतिक महत्व और बढ़ गया, क्योंकि यह उत्तर भारत के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों की रक्षा करता था।

मराठा और सिंधिया काल:

18वीं शताब्दी के मध्य में मराठों ने ग्वालियर किले पर कब्जा कर लिया। इसके बाद 18वीं शताब्दी के अंत में यह किला सिंधिया राजवंश के अधीन आ गया। महादजी सिंधिया ने ग्वालियर को अपनी राजधानी बनाया और किले को और मजबूत किया। सिंधिया राजवंश ने ब्रिटिश काल तक ग्वालियर पर शासन किया और इस दौरान किला राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना रहा।

1857 का स्वतंत्रता संग्राम:

ग्वालियर किले ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस समय झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते हुए ग्वालियर किले को घेरा था। हालांकि, अंग्रेजों के साथ युद्ध में वह वीरगति को प्राप्त हुईं। ग्वालियर किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया और इसने कई क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।

आधुनिक काल:

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, ग्वालियर किला भारत सरकार के अधीन आया और इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया। आज यह किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है और इसमें कई संग्रहालय, मंदिर, महल और ऐतिहासिक स्मारक स्थित हैं।

वास्तुकला:

ग्वालियर का किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जो चारों ओर से ऊंची चट्टानों से घिरा हुआ है। किले का विस्तार लगभग 3 किलोमीटर लंबा और 1 किलोमीटर चौड़ा है। इसकी दीवारें 35 फीट ऊंची हैं, और यह किला लगभग 100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह पूरे ग्वालियर शहर पर हावी रहता है।



प्रमुख संरचनाएँ व तथ्य :

1. हजारों साल पुराना किला:

  • ग्वालियर किला लगभग 1,000 साल पुराना है और इसका इतिहास 8वीं शताब्दी से शुरू होता है। इसे राजा सूरज सेन ने संत ग्वालिपा की कृपा से बनवाया था।

2. विभिन्न शासकों का शासन:

  • इस किले पर कई प्रमुख राजवंशों का शासन रहा, जिनमें प्रतिहार, तोमर, मुगल, मराठा और अंततः सिंधिया शामिल हैं। हर शासक ने किले में अपनी स्थापत्य शैली और संस्कृति का योगदान दिया।

3. मान सिंह द्वारा बनवाया गया मान मंदिर महल:

  • राजा मान सिंह तोमर ने 15वीं शताब्दी में किले के भीतर मान मंदिर महल का निर्माण करवाया, जो अपनी अनोखी वास्तुकला और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह महल संगीत और नृत्य के कार्यक्रमों का प्रमुख केंद्र था।

4. गुजरी महल:

  • गुजरी महल, राजा मान सिंह की पत्नी रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया था। आज यह महल एक संग्रहालय में बदल गया है, जहाँ तोमर वंश से जुड़ी कलाकृतियाँ और मूर्तियाँ संरक्षित हैं।

5. जैन तीर्थंकरों की विशाल मूर्तियाँ:

  • ग्वालियर किले की पहाड़ियों पर विशाल जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। इनमें से सबसे बड़ी मूर्ति आदिनाथ तीर्थंकर की है, जो लगभग 57 फीट ऊँची है। ये मूर्तियाँ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

6. सास-बहू मंदिर:

  • किले के भीतर स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह अपनी उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी और अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसका नाम "सास-बहू" इसलिए पड़ा क्योंकि इसे एक सास और उसकी बहू के लिए बनाया गया था, जो विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करती थीं।

7. तेली का मंदिर:

  • यह मंदिर 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह द्रविड़ तथा नागर शैली की मिश्रित वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। यह किले का सबसे ऊँचा मंदिर है और इसका शिखर अद्वितीय है।

8. अकबर द्वारा कब्जा:
  • मुगल सम्राट अकबर ने 1558 में इस किले पर कब्जा किया और इसे एक प्रमुख सैन्य केंद्र बनाया। मुगलों ने किले का राजनीतिक और सैन्य महत्व बढ़ाया।

9. झाँसी की रानी का किला:

  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर किले को अंग्रेजों से मुक्त करवाने के लिए संघर्ष किया था। यहीं पर उन्होंने अंग्रेजी सेना से युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की।

10. किले की रणनीतिक स्थिति:
  • ग्वालियर किला एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जिससे इसे सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना गया। इसकी ऊँचाई से आसपास के क्षेत्रों पर नज़र रखना आसान होता था, जिससे यह किला सैन्य दृष्टिकोण से बेहद महत्त्वपूर्ण था।

11. बाबर की प्रशंसा:

  • मुगल सम्राट बाबर ने इस किले को "भारत के किलों का गहना" कहा था। किले की भव्यता और स्थापत्य कला ने उसे बेहद प्रभावित किया।

12. ब्रिटिश सेना द्वारा इस्तेमाल:
  • ब्रिटिश शासन के दौरान, ग्वालियर किले का इस्तेमाल एक सैन्य छावनी और जेल के रूप में किया गया था। यहाँ कई स्वतंत्रता सेनानियों को कैद में रखा गया था।

13. संग्रहालय:

  • किले में स्थित गुजरी महल को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहाँ तोमर और अन्य राजवंशों के शासनकाल की पुरानी मूर्तियाँ, कलाकृतियाँ और शिल्पकला प्रदर्शित की जाती हैं। संग्रहालय में संरक्षित 7वीं से 15वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्तियाँ और ऐतिहासिक धरोहर भी देखी जा सकती हैं।

14. किले की रक्षा प्रणाली:

  • ग्वालियर किले की दीवारें 35 फीट ऊँची हैं और किले के चारों ओर चट्टानी खाइयाँ और मजबूत दरवाजे हैं, जो इसे दुश्मनों से सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए थे।

15. फिल्मों में लोकप्रियता:

  • ग्वालियर किले की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे कई फिल्मों की शूटिंग के लिए भी उपयोग किया गया है। इसकी स्थापत्य कला और प्राकृतिक सुंदरता ने इसे एक फिल्मी स्थल के रूप में लोकप्रिय बना दिया है।

धार्मिक महत्व:

किले में कई हिंदू और जैन मंदिर स्थित हैं, जो इसे धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाते हैं। यहाँ स्थित सास-बहू के मंदिर और तेली का मंदिर अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं। तेली का मंदिर 8वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह द्रविड़ और नागर शैली के मिश्रण को दर्शाता है।

किले का राजनीतिक महत्व:

ग्वालियर का किला कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। बाबर ने इस किले को "भारत के किलों का गहना" कहा था। मुगलों और मराठों के बीच इस किले को लेकर कई बार युद्ध हुए। अंततः यह किला सिंधिया राजवंश के हाथों में आया और उनके शासन के दौरान यह महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बन गया।

निष्कर्ष:

ग्वालियर का किला न केवल अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह किला भारत की विविध धरोहर और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक यहाँ आते हैं।



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